भारत में नीली क्रांति

 नीली क्रांति अथवा ब्लू रिवॉल्यूशन का भारत में बहुत बड़ा मार्केट है और एक विस्तृत अपेक्षाएं हैं। ब्लू रिवॉल्यूशन या नीली क्रांति का आशय मत्स्य पालन से है इस  क्रांति का मुख्य उद्देश्य भारी मात्रा में मछलियों के उत्पादन को बढ़ाना और उन्हें बाजार में बेचकर मुनाफा कमाना है।


                                       


कुछ दिन पूर्व 30 अगस्त 2019 को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू जी ने हैदराबाद में एक्वा एक्वेरिया इंडिया के पांचवें संस्करण  का उद्घाटन किया। यह आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। इस बारे में बजट 2020 में भी उल्लेख किया गया है और बजट में कई प्रावधान करे गए हैं। भारत में इसकी शुरुआत सातवीं पंचवर्षीय योजना से हुई थी जो वर्ष 1985 से वर्ष 1990 के बीच क्रियान्वित की गई।  इस दौरान सरकार ने फिश फार्मर्स डेवलपमेंट एजेंसी(एसएफडीए) को प्रायोजित किया। कुछ समय के बाद भारत के तटीय शहर जैसे तूतीकोरिन, पोरबंदर, विशाखापट्टनम, कोच्चि और  पोर्ट ब्लेयर मैं  फिशिंग  बंदरगाह स्थापित किए गए । उत्पादन बढ़ाने  के साथ ही 7 प्रजातियों में सुधार के लिए बड़ी संख्या में अनुसंधान केंद्र भी स्थापित किए गए। जिसका परिणाम है कि फिशरीज भारत की जीडीपी में लगभग 1% का और कृषि जीडीपी में 5% का योगदान करती है। सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और एक अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। सरकार के आर्थिक बजट 2020 में आर्थिक विकास में तेजी के लिए कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका बताई गई है । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र के लिए 16 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया है। 16 एक्शन के पॉइंट में नीली अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने का मा कृत्रिम गर्भाधान के जरिए पशु के उत्पादन को बढ़ाने के लिए और जो पानी की कमी वाले इलाके हैं या पानी से परिपूर्ण इलाके हैं, वहां पर तकनीकी विकास को और बेहतर करने के लिए व्यापक उपाय सुझाए गए हैं। नीली क्रांति की  संभावनाओं का अधिक लाभ उठाना अर्थव्यवस्था , सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका के लिए अहम है।


 अगर भारत के भूगोल की बात करें तो भारत का लगभग 7516 किलोमीटर की तटीय सीमा है। मछली उत्पादन में हम दुनिया में दूसरे नंबर पर हैं इसके बावजूद हमारी उत्पादन क्षमता चीन के मुकाबले 10 वैसे ही है। इसकी वजह कई  हो सकती हैं जिसमें लोगों को इस तकनीक के बारे में कम रुचि, सरकारों के द्वारा प्रोत्साहन राशि का कम दिया जाना, तकनीकी एवं आर्थिक कारण  जिस वजह से अर्थव्यवस्था का लाभ भारत पूरी तरीके से नहीं ले पा रहा। इसकी वजह सेटेलाइट गाइडेड फिशिंग और रिसोर्स आईडेंटिफिकेशन जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल ना होना है। नीली अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा महत्व विकास , प्रबंधन और समुद्री मछली संसाधनों पर है। दूसरा तटीय इलाकों में फिश प्रोसेसिंग से युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं।


सरकार की निरंतर प्रयास रहे हैं की अर्थव्यवस्था को तेजी देने के लिए प्रकृति के इस स्त्रोत्र को भी सही तरीके से उपयोग किया जा सके और भविष्य का ध्यान रखते हुए इनका  सदुपयोग हो। अगर फायदे की बात करें तो इससे युवाओं के लिए नए रोजगार के अवसर आएंगे किसानों को अच्छी आई मिलेगी भारत मत्स्य पालम के रूप में विश्व में एक अच्छा मार्केट बन सकता है जल एवं जलीय स्त्रोत का सही तरीके से देखभाल होगी इत्यादि यह सभी लाभ हैं। अगर कुछ सुधारों की तरफ सरकार ने कोशिश करिए कि बजट में ऐसे प्रावधान रखे जिससे मत्स्य पालन को अच्छी सब्सिडी मिल सके और विभिन्न स्कीमों के द्वारा कोशिश करी गई है कि इस क्षेत्र में लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके । रिमोट सेंसिंग से डाटा इंटरप्रिटेशन इत्यादि कुछ तकनीको  का भी यूज़ करके हम इस क्षेत्र में भारत की  ताकतों को सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं और आगे आने वाले समय में इस सेक्टर में हम खुद को निखार सकते हैं और देश एकनॉमी में को 5 ट्रिलियन  पहुंचाने के लिए सहयोग कर सकते हैं । इसलिए आवश्यक है कि हम मुख्य परिधानों के अलावा भी इन सभी क्षेत्रों पर ध्यान दें और कोशिश करें की इन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सही तरीके से हो ताकि वे आज और कल हमें उसी अवस्था ने मिले ।