जैविक खेती के महत्व

साधारण शब्दों में कहें तो जैविक खेती ऑर्गेनिक फार्मिंग से आशय है । कृतिम रसायन कीटनाशकों इत्यादि का उपयोग ना करना और या फिर इनका बिल्कुल भी उपयोग ना करना ।


                                       


खेती करने की विधि में जानवरों से जनित खाद जैसे पशुपालन से उत्पादित गोबर गोट फार्मिंग से उत्पादन में और पोल्ट्री फार्मिंग से जो हमें खाद  और हरी खाद इत्यादि का उपयोग किया जाता है ताकि भूमि की उपजाऊ उस करने की क्षमता बनी रहे और पर्यावरण एवं मनुष्य की सेहत पर इसका कोई प्रभाव ना पड़े । भारत में  सिक्किम पहला राज्य है जिसने पूरी तरीके से आर्गेनिक फार्मिंग या जैविक खेती  को अपनाया है। 


भारत एक कृषि प्रधान राज्य है यहां की अधिकतम आबादी कृषि और उससे जुड़े व्यवसाय पर आधारित है।  इसलिए जरूरी है कि इस क्षेत्र पर अधिक ध्यान दिया जाए क्योंकि पूरे देश को इन्हीं से वस्तुएं उपलब्ध होती हैं।  भारत की इतनी बड़ी जनसंख्या को पर्याप्त खाद्य सामग्री मिल सके इसके लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशकों, फर्टिलाइजर्स, इंजेक्शन ,म्यूटेशन इत्यादि तकनीकों का प्रयोग किया जाता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा कृषि उपज को बढ़ा सकें।  ताकि हर एक व्यक्ति को सारी वस्तुएं उपलब्ध हो सकें ,लेकिन क्या इन वस्तुओं से पृथ्वी को नुकसान नहीं होता होता है।  इन कीटनाशकों  के  निरंतर प्रयोग से मिट्टी की  उर्वरक शक्ति कम होने लगती है और कुछ समय बाद मिट्टी पूरी तरह से ख़राब  हो जाती है ।  इस समस्या से निपटने के लिए कई देशों ने  पेस्टिसाइड का प्रयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिए हैं और जैविक तकनीकों का प्रयोग आरंभ कर दिया है। 


इसी संदर्भ में और आर्गेनिक  फॉर्मिंग बहुत प्रशंसनीय कार्य  है जिसके तहत पेस्टिसाइड का प्रयोग ना करके जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है जिससे मिट्टी और उससे उत्पन्न खाद्य पदार्थ दोनों ही सुरक्षित रहते हैं।


जैविक खेती के लाभ की बात करें तो इससे ना सिर्फ कृषकों को लाभ होता है। अपितु संपूर्ण मनुष्य प्राणी से लेकर मृदा तक को लाभ होता है।  इसमें पशु जने या नैसर्गिक खाद का उपयोग किया जाता है। इससे भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि आती है। रसायनिक खाद का उपयोग होने पर भूमि अपने अंदर पानी को समाहित रखने की शक्ति को देती है । जिससे फसलों की सिंचाई बहुत कम समय के अंतराल में करनी पड़ती है लेकिन जैविक खेती करने से मृदा में गन विद्वान रहते हैं इसलिए फसलों को रासायनिक खेती की तुलना में लंबे समय बाद सिंचाई की जाती है इससे प्रदूषण काफी कम होता है और रासायनिक खेती की तुलना में जैविक खेती में मृदा से पानी भाप के रूप में परिवर्तित होता है मृदा में जल संरक्षण करने की शक्ति का विकास होता है जिसके अंतराल में बढ़ोतरी होती है वर्तमान में 90 से बीमारियां मनुष्य होते हैं इसके कारण होने वाली बीमारियों में कमी आती है और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों पर खरे उतरते हैं उत्पाद उत्पाद के लिए किसानों की आय में वृद्धि भी होती है ।