पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप / पी.पी.पी.

सार्वजनिक निजी साझेदारी को ही 3p पी 3 या PUBLIC- PRIVATE PARTNERSHIP  कहते हैं इस मॉडल में दो या दो से अधिक सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के बीच एक सहकारी व्यवस्था होती है ,जो आमतौर पर लंबे समय तक चलती है।


                             


पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत सरकार निजी कंपनियों के साथ मिलकर  अपनी परियोजनाओं को पूरा करती है। देश के कई हाईवे इसी मॉडल पर बने हैं एवं सरकार जल्दी ही नए सेक्टर्स  को भी इस में परिवर्तित करने जा रही है। इसके द्वारा किसी जनसेवा या बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन की व्यवस्था की जाती है। इसमें सरकार और निजी संस्थान मिलकर अपने पहले से निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करते हैं और उसे हासिल करते हैं।  पीपीपी व्यवस्था बड़ी परियोजनाओं के लिए उपयोगी होती है जिन्हें शुरू करने के लिए अत्यधिक कुशल श्रमिकों और महत्वपूर्ण नगदी परिव्यय  की आवश्यकता होती है। वे उन देशों में भी उपयोगी होती है जिन्हें राज्य को कानूनी रूप से किसी भी बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है जो जनता की सेवा करता है।


इस मॉडल की जरूरत इसलिए पड़ती है क्योंकि जब सरकार के पास इतना धन नहीं होता जिससे वह अपनी हजारों करोड़ों रुपए की घोषणाओं को पूरा कर सके तब ऐसी स्थिति में सरकार प्राइवेट कंपनियों के साथ एक एग्रीमेंट  करती है और इन परियोजनाओं को पूरा करने का कार्य करती है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रोजेक्ट्स इन टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम ,एयरपोर्ट, पावर प्लांट के लिए सरकार के द्वारा स्थानीय राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। निजी भागीदारी एक निजी स्वामित्व वाली कंपनी को दी जाती है जिसमें कुछ  शेयर सरकार के पास रहता है।


अगर इस मॉडल के फायदे की बात करी जाए तो यह पर योजनाओं को सही लागत पर और समय से पूरी हो जाती हैं जिससे सरकार का वादा समय पर पूरा हो जाता है। परियोजनाओं को पूरा करने में श्रम और पूंजी संसाधन की प्रोडक्टिविटी बढ़ाकर अर्थव्यवस्था की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। पीपीपी मॉडल के तहत किए गए काम की क्वालिटी सरकारी काम के मुकाबले अच्छी होती है और साथ ही काम अपने निर्धारित योजना के अनुसार होता है। इसके तहत होने वाली जोखिम को सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है इस मॉडल से सरकार को उसकी बजट की समस्या और उधार लेने की सीमाओं से भी मुक्ति मिल जाती  है। इस मॉडल पर भारत में मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे एवं किसान रेलवे चलाई जाएंगी एवं कुछ अन्य क्षेत्रों को भी इस मॉडल के तहत विकास संभव है।