राष्ट्रीय पोषण अभियान

पोषण अभियान कार्यक्रम न होकर एक जन आंदोलन और भागीदारी है।  कार्यक्रम की सफलता में जहां जन-जन का सहयोगआवश्यक है वहीं स्थानीय नेताओं, पंचायत प्रतिनिधियों, स्कूल प्रबंधन समितियों, सरकारी विभागों, सामाजिक संगठनों, तमाम सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की समावेशी भागीदारी भी अपेक्षित है।


                           


                                           


इस भागीदारी को निभाने का एक खूबसूरत अवसर राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में सबको प्राप्त हुआ है। सितंबर 2018 को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जायेगा। इस माह में हर व्यक्ति, संस्थान और प्रतिनिधि से यह आशा की जा रही है कि वे अपनी ज़िम्मेदारी भारत को कुपोषण मुक्त बनाने में निभायेंगे।


पोषण अभियान किस लिये देश में नाटेपन, अल्पपोषण, खून की कमी (अनीमिया) तथा जन्म के वक्त कम वज़न वाले शिशुओं की संख्या में कमी लाने के लिये विभिन्न मंत्रालय और विभाग विगत वर्षों से सक्रिय हैं। इस दिशा में अपेक्षित परिणाम हासिल होना अभी शेष है। पोषण अभियान टेक्नोलोजी की मदद से जन-जन के बेहतर आहार और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लायेगा। इस योजना में विभिन्न मंत्रालय एवं विभाग तालमेल बैठाते हुए अपना भरपूर सहयोग प्रदान करेंगे। इस अभियान को सफल बनाने के लिये पंचायत स्तर तक एक मजबूत साझेदारी की आवश्यकता है। इस दिशा में पंचायत प्रतिनिधि अपनी अहम भूमिका निभायें तथा कुपोषण को दूर करते हुए एक मज़बूत देश की नींव रखें।


पंचायत प्रतिनिधि की भूमिका



  • रोज़ाना आयरन और विटामिन युक्त तरह-तरह के पोषक आहार लें।

  • पौष्टिकीकृत दूध और तेल तथा आयोडीन युक्त नमक खायें ।

  • आई.एफ.ए. की एक लाल गोली रोज़ाना, चौथे महीने से 180 दिन तक लें।

  • कैल्शियम की निर्धारित खुराक लें।

  • एक एल्बेण्डाजोल की गोली दूसरी तिमाही में लें 

  • महीने पूरे होने पर मां के दूध के साथ ऊपरी आहार शुरू करें।

  • रोज़ाना आयरन और विटामिन युक्त तरह-तरह के पोषक आहार दें।

  • मसला हुआ और गाढ़ा पौष्टिक ऊपरी आहार दें।

  • पौष्टिकीकृत दूध और तेल तथा आयोडीन युक्त नमक खायें।

  • आई.एफ.ए. और विटामिन-ए की निर्धारित खुराक दिलवायें।

  • किशोरियों को रोज़ाना आयरन और विटामिन युक्त तरह-तरह के पौष्टिक आहार ज़रूर खिलायें जिससे माहवारी के दौरान रक्त स्राव से होने वाली आयरन की कमी पूरी कर उसका संपूर्ण विकास हो।

  • पौष्टिकीकृत दूध और तेल तथा आयोडीन युक्त नमक खायें।

  • नवजात शिशु को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान शुरू करायें तथा शिशु को अपना पहला पीला गाढ़ा दूध पिलायें। मां का पहला पीला गाढ़ा दूध बच्चे का पहला टीका होता है।

  • शिशु को शुरुआती 6 महीने सिर्फ अपना दूध ही पिलायें और ऊपर से कुछ न दें।