विश्व आद्र भूमि दिवस प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को मनाया जाता है। आद्र भूमि या वेटलैंड का अर्थ है नमी या दलदली क्षेत्र अथवा पानी से सैचुरेटेड भूभाग ,कई भूभाग वर्षभर आदर रहते हैं। यह प्रकृति का अद्भुत वरदान है । जैव विविधता की दृष्टि से वेटलैंड अत्यंत संवेदनशील होती हैं इसका सबसे पहला उल्लेख 1971, 2 फरवरी को विश्व के विभिन्न देशों ने ईरान के रामसर शहर में विश्व की आर्द भूमियों को संरक्षण प्रदान करने के लिए एक संधि अथवा ट्रीटी पर हस्ताक्षर किए तभी से प्रत्येक वर्ष विश्व वेटलैंड दिवस है। अगर भारत की बात करें तो कुल 27 रामसर वेटलैंड थे परंतु वर्तमान में कुल 37 हैं। महत्वता की दृष्टि से वेटलैंड बहुत महत्वपूर्ण है, यह पक्षियों एवं जानवरों की विलुप्त प्राय एवं दुर्लभ प्रजातियो पेड़ एवं कीड़ों को उपयुक्त आवास उपलब्ध कराते हैं। यह उत्पादक जलीय पारिस्थितिकी तंत्र हैं जिन्हें बायो लॉजिकल सुपर मार्केट कहां जाता है। यह ना केवल जल भंडारण कार्य करते हैं, अपितु बाढ़ के अतिरिक्त जल को अपने में समेट कर बाढ़ की विशेषता को भी कम करते हैं भूमि एवं आंधी के प्रभाव की क्षमता को कम करती है अगर भारत की बात करें तो आद्र भूमि संरक्षण एवं प्रबंधन अधिनियम 2010 की अधिसूचना जारी हैं जिसके तहत हमने भारत के वेटलैंड को 6 वर्गों में बांटा है जिनमें अंतरराष्ट्रीय महत्व पर्यावरण संबंधी यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल समुद्र तल संबंधी जिनकी पहचान प्राधिकरण ने ना क्h इन सभी को इन छह भागों या वर्गों में रखा गया है प्रत्येक 2 फरवरी को वेटलैंड दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य यह भी है कि लोगों को वेटलाइन के महत्व के बारे में बताया जाए एवं उन्हें उनके संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाए ताकि हम पर्यावरण को बचा सके। आज भूमियों के लाभों के कारण यह हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। असल में आंध्र भूमि की मिट्टी, जील नदी या किसी नमी युक्त किनारे का हिस्सा होती है जहां पर पूर्ण भी पाई जाती है। इसलिए आवश्यक है कि हम सभी वेटलैंड का महत्व समझे एवं उसे बचाने एवं संरक्षण देने के लिए संभव प्रयास करें। प्रतिदिन बढ़ते हुए पर्यावरण संकट एवं ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते इन स्थलों को काफी नुकसान हुआ है अथवा मनुष्य के द्वारा वेटलैंड का दुरुपयोग के कारण भी इन्हें काफी नुकसान हुआ है जिसका फल स्वरुप यह है कि आज इन् भूमियों के आसपास रहने वाली काफी सारी जैव विविधता को बहुत नुकसान हुआ है तथा वे एक्सटेंट हो चुकी हैं। विश्व लगातार कई सारे प्रतिबंध लगा रहा है एवं सारी देशों से अपेक्षा करता है कि वे इनका महत्व समझें और अपने देश के स्वच्छ एवं सुंदर वेटलैंड सुरक्षित बनाए रखने के लिए तत्पर कदम उठाएं। सरकार के साथ-साथ प्रति व्यक्ति का भी कर्तव्य है कि वे: इन प्राकृतिक जगहों को अपने स्वार्थ के लिए बर्बाद ना करें एवं प्रकृति की अनमोल अमूल्य वस्तुओं को ठीक से उपयोग करें ताकि आगे आने वाली पीढ़ी भी इन संसाधनों का उपयोग कर सकें।